प्रकृति प्यारी
पुनः आज फिर
गीत नया गाने को है
सर्द हवा ने दस्तक दी है
नया वर्ष आने को है
बड़ा घना कोहरा था
उस पर
गहरे तम की छाया
दूर क्षितिज पर
दिखी लालिमा
फिर सूरज मुस्काया
कोहरे की छाती को
चीर गुनगुनी धूप
आने को है
नया वर्ष आने को है
शुभ कदमों की
आहट लेकर
नया वर्ष फिर आया
नयी उमंगें
नयी तरंगें
अपने साथ में लाया
उल्लास भरी
सुख की यह घड़ी
द्वार खटकाने को है
नया वर्ष आने को है
घर महके
मक्की रोटी और
सरसों साग सुगंध से
माँ ने बनाया
गाजर हलवा
प्रीत प्यार की गन्ध से
मूँगफली रेवड़ी
और गज़क
बाजारों में छाने को है
नया वर्ष आने को है
जन-जन यहाँ
सुखी हो और
सभी के घर उजियारा
अंतस आलोकित
हो सबका
बहे प्रेम की धारा
नये वर्ष में
नये हर्ष का
गीत मधुर गाने को है
नया वर्ष आने को है
-अर्चना सक्सेना