कविता की पाठशाला
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व्योम के पार
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माहिया
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मधु गोयल
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Thursday, May 25, 2023
ये मन है बंजारा
ये मन है बंजारा
यादों के वन में
फिरता मार-मारा!
-मधु गोयल
Wednesday, June 23, 2021
माहिया
क्या भारी जमघट है!
मार गया सूखा
प्यासा ये पनघट है
-मधु गोयल
माहिया
रूठा न करो बालम
तौबा! मुझको तो
तड़पाता ये आलम
-मधु गोयल
माहिया
मन का आँगन महके
आने से तेरे
दिल पायल-सा खनके!
-मधु गोयल
Monday, June 21, 2021
माहिया
घनघोर घटा छाई
प्राण सुखा देती
ये बदरी हरजाई!
-मधु गोयल
माहिया
ये बादल आवारा
पंछी-सा फिरता
नभ में मारा-मारा
-मधु गोयल
Friday, June 11, 2021
दोहा
स्वेद-रक्त से सींच कर, भरता भू में प्राण।
पेट पाल कर जगत का, कृषक दिलाये त्राण।।
-मधु गोयल
Wednesday, May 12, 2021
दोहा
पीत वर्ण का ताज है, नन्हा है आकार।
'गोल्डक्रेस्ट' पंछी अजब, तीन ग्राम कुल भार।।
-मधु गोयल
Friday, May 07, 2021
दोहा
कँलगी सिर पर सोहती, नाचे पंख पसार।
पक्षीराज मयूर का, 'जंगल' है संसार।।
-मधु गोयल
Thursday, January 28, 2021
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा!
नई भोर है आने वाली
सजी है स्वागत में हर डाली
शबनम मुस्काती फूलों पर-
पहरा देता भँवरा माली
कुदरत ने भी देखो कैसे-
सारा भुवन सँवारा
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा!
नया एक संकल्प लिया है
वादा भी कुछ ख़ास किया है
रिश्तों की उधड़ी बखिया को
निष्ठा से मज़बूत सिया है
दिल में सबके जगह बनाना
यही महज़ कर्तव्य हमारा
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा!
-मधु गोयल
Wednesday, November 25, 2020
मधु गोयल
बोली लखनऊ की बड़ी, मीठी पड़ती जान।
इसीलिए तो विश्व में, है इसकी पहचान।।
है इसकी पहचान, शहर ये बड़ा अजब है,
ऐतिहासिक स्थल भी, यहाँ के बहुत ग़ज़ब हैं।।
नृत्य-गीत-संगीत, कलाओं की रंगोली।
हिन्दू-मुस्लिम धर्म, यहाँ बोलें इक बोली।।
-मधु गोयल
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