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Saturday, May 27, 2023

हर रीति निभाना है

हर रीति निभाना है
बेटी को ही क्यों
दूजे घर जाना है

-डॉमंजू यादव

Tuesday, June 08, 2021

दोहा

ग्रीष्म कहर इतना बढ़ा, व्याकुल हुआ समाज।
शीतलता की खोज में, गए पवन भी आज।।

-डॉ० मंजू यादव

Thursday, June 03, 2021

दोहे

यह जंगल की आग है, या है दीप प्रकाश।
उदित सूर्य लगता कभी, अद्भुत रूप पलाश।।

-डा० मंजू यादव

Monday, May 10, 2021

दोहा

चातक को प्यारा बहुत, सदा आत्मसम्मान।
नीर माँगता मेघ से, नहीं अन्य जल पान।।

-डॉ० मंजू यादव

Sunday, May 09, 2021

दोहा

शिकन कभी देखी नही, मैंने माँ के माथ।
संकट में देती सदा, माँ ही मेरा साथ।।

 -डा०  मंजू यादव

Thursday, May 06, 2021

हाइकु

सर्दी के लिए
शहीद कर दिया 
जीवित पेड़

-डा० मंजू यादव 

दोहा

रूप रंग का ही नहीं, गुण का होता मोल।
काली कोयल है मगर, मीठे उसके बोल।।

-डॉ० मंजू यादव

Wednesday, November 25, 2020

मंजू यादव

वंदन  गुरु  का कीजिए, जो देते हैं ज्ञान
बाधा  होती  दूर  सब, राह  बने आसान
राह बने  आसान, सदा मंजिल को पाते
जग में हो पहचान, सभी अपने हो जाते
'मंजू'  यह  सम्मान, लगे माथे ज्यों चंदन
मानें गुरु उपकार, करें उनका हम वंदन

-डॉ० मंजू यादव