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Saturday, May 27, 2023

माना ग़लती उनकी

माना ग़लती उनकी 
कैसे जियूँगा जो 
बूँदे न मिलीं जल की 
                 
-मीनू खरे

सब जाने तू छोटे

सब जाने तू छोटे
मानव बन स्वार्थी
करता कारज खोटे
           
-निवेदिताश्री

पापा बतलाते हैं

पापा बतलाते हैं
नदियाँ सूख गयीं
तुम जनम न पाते हो
             
-निवेदिताश्री

ना मैं इतराता हूँ

ना मैं इतराता हूँ 
बेबस हूँ कितना 
तुमको बतलाता हूँ
           
-मीनू खरे

जंगल धूँ-धूँ जलता

जंगल धूँ-धूँ जलता 
छूटा घर अपना 
कोई वश ना चलता

-आभा खरे

कुछ अजब तपन सी है

कुछ अजब तपन सी है
ऐसा क्यूँ लगता ?
भारी उलझन सी है!

-आभा खरे

आवारा तुम फिरते

आवारा तुम फिरते
हमसे सीखो जो 
औरों का हित करते

-प्रीति गोविन्दराज

अच्छा बहलाते हो

अच्छा बहलाते हो
यूँ बनकर भोले
झट मुझे गिराते हो

-प्रीति गोविन्दराज

कितना इतराते हो

कितना इतराते हो
प्यासा रखते हो 
या वारि डुबाते हो !
         
-मीनू खरे

आया जी लो आया

आया जी लो आया
झेलो अब वर्षा
जलमय होगी काया
          
-निवेदिताश्री 

क्या मन में बात कहो

क्या मन में बात कहो
प्यासा मन मेरा
पानी बन आज बहो
          
-निवेदिताश्री 

मुझको कहते सनकी

मुझको कहते सनकी 
समझो कुछ बातें
तुम भी मेरे मन की!
          
-मीनू खरे

अच्छे आतंकी हो

अच्छे आतंकी हो
प्यासा मारोगे
क्या बिलकुल सनकी हो

-निवेदिताश्री

ओ नन्हे धान कुँवर

ओ नन्हे धान कुँवर
मेरा मूड नहीं 
रुक जा कुछ देर ठहर
              
-मीनू खरे

बादल काका आओ

बादल काका आओ
गर्मी बहुत लगे
पानी बरसा जाओ
              
-निवेदिता श्रीवास्तव 

बचपन रूठा जबसे

बचपन रूठा जबसे
निश्छल इक साथी
ढूँढे न मिला तबसे

-सुधा राठौर

माथे पर सलवट है

माथे पर सलवट है
चिन्ता के वश में
बापू की करवट है

-सुधा राठौर

सूरज से प्रीति करे

 सूरज से प्रीति करे
सूर्यमुखी इकटक
उसका ही दीद करे

-सुधा राठौर

गर फूलों से यारी

गर फूलों से यारी
सहनी पड़ती है
काँटों की दुश्वारी

-सुधा राठौर

कण्डे सुलगाती है

कण्डे सुलगाती है
सर्दी में माई
लिट्टी महकाती है

-सुधा राठौर