बदरी ने भरमाया
धरती ने चाहा
लो चांद निकल आया
-अविनाश बागड़े
कहीं सितार
बजे जलतरंग
पंछी मलंग
-अविनाश बागड़े
जल में पंछी
एक पाद आसन
मिले राशन
-अविनाश बागड़े
लंबी सी चोंच
सोशल डिस्टेंसिंग
चुगते दाना
-अविनाश बागड़े
शहरों ने काटा है
गाँवों को देखो
आपस में बाँटा है
-अविनाश बागड़े
शब्द पखेरू
साकार है सम्मुख
जंगल बुक
-अविनाश बागड़े