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Friday, December 30, 2022

कुछ रोज

कुछ रोज ठहर जाये
ठंड तनिक कम हो
फिर साल नया आये

-अमित खरे

Monday, June 28, 2021

माहिया

बुनियादी बातों को
भूल गया मानव
रब की सौगातों को

-अमित खरे

Friday, June 25, 2021

माहिया

ये बात उजागर है
भूख बड़ी-छोटी
पर पेट बराबर है।

-अमित खरे

Monday, June 21, 2021

माहिया

सोंधी खुशबू उड़ती,
तपती धरती पर,
छन से बुँदिया पड़ती।

-अमित खरे

Friday, June 11, 2021

दोहा

मिट्टी, पानी, उर्वरक, बीज,फसल का ज्ञान,
मिलें कृषक के स्वेद से, तभी भरे खलिहान।

-अमित खरे 

Sunday, June 06, 2021

दोहा

रोज शाम बारिश गिरे, रोज उठे तूफान।
रोज पिया बिन दिल जले, काया रोज मसान।।

-अमित खरे

Thursday, June 03, 2021

दोहे

टेसू गर्वित रंग पर, आम्रमंजरी मौन।
बोलेंगे कल फल मधुर, सुन्दर देखो कौन।।

-अमित खरे

Monday, May 31, 2021

दोहा


जब तुम मिले बसंत से, लजा गया सिंगार.
गालों पर टेसू खिले, आँखों में कचनार।

-अमित खरे

Sunday, May 30, 2021

दोहा


प्रिय कचनार बसंत को, प्रथम प्रीत अनुकूल,
सेमल नयन तरेरता, टेसू आग बबूल।

-अमित खरे

Thursday, May 27, 2021

दोहा

जेठ पाहुने आ गए, धूप जिठानी संग,
छाया परदे से तके, लू ननदी हुड़दंग।

-अमित खरे

Monday, May 24, 2021

दोहा

 पहेली का उत्तर बताएंँ-

आदि कटे मधु द्रव मिले, अंत कटे सारांश,
मध्य कटे माँ सजन की, अर्थपूर्ण शेषांश।

-अमित खरे

दोहा

 पहेली का उत्तर बताएँ-


श्वेत रंग ग्रीवा सुघड़, ताल किनारे धाम,
तीन वर्ण मिल कर बना, बूझो इस का नाम।

-अमित खरे

Saturday, May 08, 2021

दोहा

कारीगर कठफोड़वा, चोंच तेज औजार,
तना छेद कोटर बने, जहाँ बसे परिवार।

-अमित खरे

Wednesday, May 05, 2021

दोहा

 गिद्ध उड़ें आकाश में, धरती पर इंसान,
विपदा में भी टोहते, अवसर का अनुमान।

-अमित खरे

Monday, May 03, 2021

दोहा

तीक्ष्ण दृष्टि, मंशा कुटिल, ऊँची भरे उड़ान,
बाज शिकारी गगनचर, फुर्तीला बलवान।

-अमित खरे

Saturday, November 28, 2020

अमित खरे

संप्रभुता में देश की, अंतर्हित अधिकार
सर्वधर्म समभाव है, संविधान अनुसार
संविधान अनुसार, धर्म निरपेक्ष नागरिक
सभी धर्म हैं श्रेष्ठ, भावना रहे मानसिक
रहे दया का भाव , परस्पर हो भावुकता
मानवता सर्वोच्य, तभी सच्ची संप्रभुता।

-अमित खरे

Wednesday, November 25, 2020

अमित खरे

भारत के दिल में बसा, शहर विलक्षण एक
गंगा जमुना संस्कृति, लोग यहाँ के नेक
लोग यहाँ के नेक, अनोखे ताल तलैया
ऊँचे-नीचे मार्ग, अज़ब कव्वाल गवैया
राजा भोज महान, लिख गये अमर इबारत
है मेरा भोपाल, एक छोटा-सा भारत।

-अमित खरे