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Sunday, January 01, 2023

ओ रे परिन्दे

ओ रे परिन्दे 
आसमां क्यों निहारे  
पंख तो खोल

-राकेश गुप्ता 

छोटी खुराक

छोटी खुराक
छल से अनजान
मुक्त  उड़ान

-राकेश गुप्ता

नन्हीं सी चोंच

नन्हीं-सी चोंच
दस गुना सुराख
बड़ी थी सोच

    -राकेश गुप्ता

Wednesday, November 25, 2020

राकेश गुप्ता

 कोने की डाली
चिड़ा-चिड़ी एकाकी
बच्चे  प्रवासी 
-राकेश गुप्ता