झरने के हर नाद में, नए वर्ष का राग।
पंछी देते संदेशा, भोर भई अब जाग।।
नया गीत सरगम नयी, नयी बजे सुरताल।
नयी राह पर बढ़ चलो, तोड़ पुराने जाल।।
पल दो पल को सुमिर लो, उस प्रभु का भी नाम।
अन्तर्मन की शुद्धि हो, बने बिगड़ते काम ।।
हृदय में संकल्प हो, नए वर्ष की रात।
धरती माँ को सौंपनी, वृक्षों की सौगात।।
गाती रहती है प्रकृति, मीठे मीठे गीत।
नए वर्ष में बज उठे, जीवन में संगीत।।
नए वर्ष में हम रखें, हर बच्चे का ध्यान।
नैतिक शिक्षा का इन्हें, देना होगा ज्ञान।।
दीप जला दें ज्ञान का, हो चहुँ ओर प्रकाश।
आलोकित हो हर दिशा, धरती से आकाश।।
-अर्चना सक्सेना
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