कविता की पाठशाला
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माहिया
Friday, May 07, 2021
दोहा
फूल-फूल को छेड़ती, तितली पीकर भंग।
कोयल के सुर में भरे, नव बसंत के रंग।।
-त्रिलोचना कौर
1 comment:
डॉ0 मंजू यादव
said...
बहुत सुंदर
8:01 AM
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1 comment:
बहुत सुंदर
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