एक और नये वर्ष में
प्रवेश कर रही है दुनिया
और दुनिया के साथ मैं भी
इसका इतिहास
नहीं पता है मुझको
काँप रहे हैं मेरे पैर
न जाने क्यों
इस नये साल में
जाने के लिए
शायद डर रही हूँ
बीते साल को याद कर
नया साल क्या लाएगा!
मुझे नहीं पता
शायद यह लबालब होगा
प्यार और उत्साह से
या अभिशप्त होगा
अकेलेपन की त्रासदी झेलने को
जो बिछड़ गये
उन्हें वापस लाना संभव ना हो
लेकिन जो बचे रह गये हैं
शायद उन्हें ला सके
थोड़ा और क़रीब अपनों के
लेकिन मैंने सुनी है
एक कानाफूसी
कानाफूसी की फुसफुसाहट से
पता चला है कि-
सब कुछ ठीक ही होगा
इस नये साल में
लोग निकल सकेंगे
सड़कों पर बिना डरे
मजदूरों से भरे रहेंगे कारखाने
किसान खुश हो सकेंगे
देख देख अपनी लहलहाती फसलें
मैं भी खुश हो लूँगी
यह सब देख-देख
इतनी खुशी तो
सौंप ही देना मेरे नववर्ष
-वंदना वात्स्यायन
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