Monday, February 01, 2021

एक और नये वर्ष में

एक और नये वर्ष में 
प्रवेश कर रही है दुनिया
और दुनिया के साथ मैं भी 
इसका इतिहास 
नहीं पता है मुझको
काँप रहे हैं मेरे पैर
न जाने क्यों 
इस नये साल में 
जाने के लिए 
शायद डर रही हूँ 
बीते साल को याद कर  
नया साल क्या लाएगा!
मुझे नहीं पता 
शायद यह लबालब होगा
प्यार और उत्साह से 
या अभिशप्त होगा
अकेलेपन की त्रासदी झेलने को 
जो बिछड़ गये 
उन्हें वापस लाना संभव ना हो 
लेकिन जो बचे रह गये हैं
शायद उन्हें ला सके 
थोड़ा और क़रीब अपनों के 
लेकिन मैंने सुनी है 
एक कानाफूसी  
कानाफूसी की फुसफुसाहट से 
पता चला है कि- 
सब कुछ ठीक ही होगा
इस नये साल में
लोग निकल सकेंगे
सड़कों पर बिना डरे
मजदूरों से भरे रहेंगे कारखाने
किसान खुश हो सकेंगे
देख देख अपनी लहलहाती फसलें  
मैं भी खुश हो लूँगी
यह सब देख-देख 
इतनी खुशी तो
सौंप ही देना मेरे नववर्ष

-वंदना वात्स्यायन

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