Friday, January 29, 2021

सूर्य नूतन वर्ष का अब काश ऐसी भोर लाए!

हो उजाला सूर्य का,चन्द्रमा किरणें बिछाये ,
अम्बु अमृत छिड़क छेड़े ,पवन सहला कर जगाये ,
शिशु धरा का अब उठे तम से निकल कर बाहर आये 
सूर्य नूतन वर्ष का काश ऐसी भोर लाये!

सुर हृदय की तंत्रियों के, खुद ब खुद ही खनक जाएँ 
मन सभी का मिल सुर में, वृहद् एक आलाप गाएँ ,
कम्पनों की लड़ियाँ बन कर, जग पे नव सी भोर छाए,
गूँजे समरसता की सरगम, विजन वन भी जाग जाये,
सूर्य नूतन वर्ष का काश ऐसी भोर लाये!

छूटे बंधन कलुषता के, नव पगों से आस आये,
छोड़ना जो चाहते , दृढ़ता से उसको अमल लायें ,
नव शिरों से नव -धरा को, नई सी एक सांस आये
बने फिर भारत जगतगुरु, विश्व तक पैगाम जायेI
सूर्य नूतन वर्ष का काश ऐसी भोर लाये I 

-ममता शर्मा

1 comment:

Manju Mishra said...

हो उजाला सूर्य का,चन्द्रमा किरणें बिछाये
अम्बु अमृत छिड़क छेड़े ,पवन सहला कर जगाये

// सुर हृदय की तंत्रियों के, खुद ब खुद ही खनक जाएँ

वाह ममता जी, बहुत ही सुंदर भाव और भाषा दोनो ही मनहर, मन प्रसन्न हो गया इतना सुंदर गीत पढ़ कर