मंगलगीत
नववर्ष की बेला
हटे मिथक
भ्रम,ईर्ष्या मन का!
प्रीत नई चेतना
माधुर्य भाव
सिंदूरी आभा संग
लेकर आई भोर
सकारात्मकता की सौगात
मेरे अँगना!
नव ऊर्जा संचार हो
हो मन ने स्नेह का नव अंकुर
क्रोध,अहंकार,द्वेष का हो नाश
बहे ज्ञान की सरिता निर्मल
समर्पण भाव का शृंगार हो
मानवता पथ में अग्रसर
सबके लिए मंगलमय हो
नववर्ष का हर एक पल
भविष्य स्वर्णिम और सुखद हो
सबके लिए हो
उज्ज्वल हो
मंगलमय नववर्ष !
-नीलम अजित शुक्ला
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