कविता की पाठशाला
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व्योम के पार
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माहिया
Wednesday, November 25, 2020
आलोक मिश्रा
सरकारी हो नौकरी, सबके मन की चाह
काम-काज हो तनिक सा, मिले अधिक तनख्वाह
मिले अधिक तनख्वाह, मौज में बीते हर दिन
चाय-पान के दौर, काम की ना हो टेंशन
कहते कवि आलोक, नौकरी से हो यारी
तन्मयता से करें, प्राइवेट या सरकारी।
-आलोक मिश्रा
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