Friday, December 30, 2022

नव वर्ष तुम्हारा वंदन है

नववर्ष तुम्हारा वंदन है !
अभिनंदन है !!

पिछले वर्षों जो घाव दिये
जो दर्द दिये, अहसास दिये
है तुमसे वह उम्मीद नहीं
मन है फिर नवोल्लास लिये

अपनों के जो हैं मन टूटे
उम्मीद उन्हें तुम जोड़ोगे
तुमको हैं सौ-सौ सौगंधें
विश्वास नहीं तुम तोड़ोगे

जिन शाखों से हैं पात झरे
तुम पुनः पल्लवित कर दोगे
तुमसे है बस उम्मीद यही
खुशियों से दामन भर दोगे

कोई बेटी फिर ना चीखे
ना शैतानी की भेंट चढ़ें
समरसता का ले मूलमंत्र 
सब एक साथ फिर पलें-बढ़ें

बिंदी न किसी की फिर उजड़े
माँओं की गोद न सूनी हो
मातमी दिवस फिर हों न कहीं
फिर रात न कोई खूनी हो

भारत की प्रभुता, संप्रभुता 
पर, आँच न तुम आने दोगे
है आस बड़ी तुमसे इतनी 
तुम खरे हमेशा उतरोगे।

नववर्ष तुम्हारा वंदन है!
अभिनंदन है!
           
-राम सागर यादव

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