कविता की पाठशाला
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व्योम के पार
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माहिया
Tuesday, June 08, 2021
दोहा
गरजें पर बरसें नहीं, सिर्फ जगाएँ आस।
ये चुनाव के मेघ हैं, इनका क्या विश्वास।।
-प्रताप नारायण सिंह
2 comments:
डॉ. राय कूकणा, ऑस्ट्रेलिया
said...
वाह, बहुत ख़ूब सिंह साहिब! 👏
- राय कूकणा, ऑस्ट्रेल्या
10:13 PM
डॉ. राय कूकणा, ऑस्ट्रेलिया
said...
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10:13 PM
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वाह, बहुत ख़ूब सिंह साहिब! 👏
- राय कूकणा, ऑस्ट्रेल्या
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