कविता की पाठशाला
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व्योम के पार
कविता की पाठशाला
माहिया
Tuesday, June 08, 2021
दोहा
रजनीगंधा खिल रही, महका है परिवेश।
झटक रही हैं टहनियाँ, अपने भीगे केश।।
-सुधा राठौर
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