1. 
क्या तुम्हारा नाम ’गूगल’ है ? 
क्यों कि तुम में वो सब है .. 
जो मैं अक्सर ढूँढता रहता हूँ ।
2.
मेरा प्रश्न 
पूरा करने से पहले ही 
तीन सुझाव और छः उत्तर 
तुम ना !  सचमुच में  गूगल हो ....   
3. 
मैं ज़िन्दगी का 
हर एक कठिन प्रश्न 
गूगल से पूछने के बाद
तुम्हारी ओर देखता हूँ ,
और अक्सर 
तुम जो भी कहती हो 
वही सच मान लेता हूँ |
गूगल ! तुम मुझ से नाराज तो नहीं हो ना ?
-अनूप भार्गव
 
 
3 comments:
बेहतरीन कविताएँ अनूप जी.... बधाइयाँ
-डा० जगदीश व्योम
वाह, बहुत अच्छी कविता
एकदम नई उपमा है सर , बहुत बढ़िया कविताएँ हैं ।
-सुनीता यादव
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