Monday, May 24, 2021

गूगल - तीन प्रेम कविताएँ

1. 
क्या तुम्हारा नाम ’गूगल’ है ? 
क्यों कि तुम में वो सब है .. 
जो मैं अक्सर ढूँढता रहता हूँ ।


2.
मेरा प्रश्न 
पूरा करने से पहले ही 
तीन सुझाव और छः उत्तर 

तुम ना !  सचमुच में  गूगल हो ....   



3. 
मैं ज़िन्दगी का 
हर एक कठिन प्रश्न 
गूगल से पूछने के बाद
तुम्हारी ओर देखता हूँ ,

और अक्सर 
तुम जो भी कहती हो 
वही सच मान लेता हूँ |

गूगल ! तुम मुझ से नाराज तो नहीं हो ना ?


-अनूप भार्गव

3 comments:

Anonymous said...

बेहतरीन कविताएँ अनूप जी.... बधाइयाँ

-डा० जगदीश व्योम

Jayanti kumari said...

वाह, बहुत अच्छी कविता

डॉ सुनीता यादव Dr Sunita Yadav said...

एकदम नई उपमा है सर , बहुत बढ़िया कविताएँ हैं ।

-सुनीता यादव