Monday, May 10, 2021

दोहा

गौरैयों के झुण्ड सी, आतीं बारम्बार।
यादें हिय की शाख पर, गातीं मधुर मल्हार।।

-प्रताप नारायण सिंह

2 comments:

Madhu said...

चातक की प्रकृति का बड़े सहज व सुंदर ढंग से वर्णन।

Madhu said...

लाजवाब!