ज्योति पुंज ले रवि चला, नए गगन की ओर।
मुखर क्षितिज नव लालिमा, हुई सुहानी भोर।।
कड़वाहट को कर विदा, अंतस बसे मिठास।
नैनों में ममता-दया, मन में नेह निवास।।
तिमिर घना उर का छँटे, प्रज्वल हो मन दीप।
छवि निखरे मोती बने, देह बने जो सीप।।
स्मृति की सौग़ात दे, गुज़र रहा सन बीस।
नयनों में सपने सजा, द्वार खड़ा इक्कीस।।
वर्षा, सर्दी, धूप को, हँसते झेला साल।
सुखमय हो नववर्ष ये, रहे मनुज खुशहाल।।
आलोकिक हो हर दिवस, उजियारी हर रात।
शीतलता हर साँझ में, ऊर्जित रहे प्रभात।।
-विद्या चौहान
No comments:
Post a Comment