Thursday, July 07, 2022

गीत

अधर पर थिरक उठा संगीत

सूने पन्ने, चूम सोच के
लगा मचलने गीत,
अधर पर थिरक उठा संगीत।।

छनक-छनक पत्तों की सुनकर, हवा बहुत इतराये 
लहरों की सुन मधुर लोरियांँ, नदिया तट सो जाये
दूर कहीं धुन छेड़ जगाये, मधुर पीर मन मीत।
अधर पर थिरक उठा संगीत।।

छत पर उतरें बूँद मेघ से, ताल बजे छमछम
शंख महल मधुनाद पधारे, गूंज उठे सरगम
भीतर बाहर खूब रमाये, सात सुरों की प्रीत।
अधर पर थिरक उठा संगीत।।

हल्की छुअन फुहार सुहावन, यूं टप टप टपकाये
उतर झरें पर्वत से झरने, मोती कण बिखराये
धीर-अधीर संग लहराये राग, रागिनी, रीत।
अधर पर थिरक उठा संगीत।।

-प्रीति गोविंदराज 

2 comments:

Manju Mishra said...

भाव तो मनभावन हैं ही, साथ ही शब्द संयोजन भी बहुत ही सुंदर है प्रीति !

Madhu said...

बहुत सुंदर शब्दों और भावों से गुँथा नवगीत!