कविता की पाठशाला
कविता की पाठशाला
हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
link
व्योम के पार
कविता की पाठशाला
माहिया
Wednesday, June 23, 2021
कुंडलिया
खुद ही खुद को पोसना, गायें खुद यशगान
खुद ही तुर्रम खान हैं, खुद को कहें महान
खुद को कहें महान, निपट हैं वे अनजाने
कब खा जाएँ मात, काल की चाल न जाने
फीकी जब हो शान, करेगी छवियाँ सतही
समझ गए जो बात, सीख लेंगे वे खुद ही।
-आभा खरे
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment