कविता की पाठशाला
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माहिया
Wednesday, November 25, 2020
स्मिता सिंह
चेहरा मलीन सा हुआ, धूमिल सब पहचान।
छूट गया रंग मुझसे, नीरस सब अरमान।।
नीरस सब अरमान, राग किसका गाऊं?
विधवा का सूना नयन, कैसे खुद को समझाऊं?
सफेद साड़ी चढ़ गई,उस पर है बाल बिखरा।
जीवन से रौनक ले गया, कितना उदास है यह चेहरा।।
-डॉ स्मिता सिंह
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