नई उमंग लिए आया
वर्ष दो हजार इक्कीस
मुस्कुरा कर करें स्वागत हम
नूतन वर्ष मंगलमय हो।
नए वर्ष की नई रोशनी
जन मन को करें प्रकाशित
भरे मानव उर नई लालसा से
स्वयं ही धुल जाए
मन की मलिनता
श्यामल धरती के हर प्रांगण में
हो सुख समृध्दि
बहे सौरभमय चपल समीर
हम पर कल जो गुजरा
दुआ है कल न गुजरे
जीवन की हर कल्पना
हो वसुधैवकुटुम्ब अपना
न हो भूखी नंगी मानवता
न लुटे रोटी का अधिकार
विकसित हो नव लोकतंत्र
सह अस्तिव समन्वयवादी का
सूरज की नव किरणों तले
नई प्रेरणा नव आशा पाएँ
हर स्वर विश्वासपूर्ण हो
करें नव वर्ष का अभिनन्दन।
-सूरजमणि स्टेला कुजूर
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