Thursday, January 28, 2021

हम ऐसे नववर्षँ मनाएँ !

चहुँ दिसि छाए हर्ष
बांटें खुशियाँ, बढ़ें चौगुनी
द्वार द्वार मुस्काएँ दीप
वक़्त से कुछ पल चुराएं
अनजानों में बाँट आएं
हम ऐसे नववर्षँ मनाएँ!

रोज़ की रोटी, जिनकी चिंता
बन जाती है चिता समान
ऑंखों में उनके कुछ सपने
मिलकर उनके साथ सजाएं
नववर्ष का बिगुल बजाएं
संवादहीनता दूर भगाएं
हम ऐसे नववर्षँ मनाएँ!

चैट ग्रुप से चौपालों तक
चलो आज फिर लौट आएं
हँसकर बोलें, दिल खोलें
जीवन के अवसाद मिटाएं
नए वर्ष में गले लगाएं
मिल जुल बैठें, दूरी अपनाएँ
आने वाली है वैक्सीन
कोरोना को मार भगाएं
हम ऐसे नववर्षँ मनाएँ!

-अचला झा

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