Thursday, January 28, 2021

नई रीति हम नए साल में

मन उमंग हो 
साथ-संग हो 
लिखें समय की रेखाओं से 
नई रीति हम नए साल में ....!!

रेशम डोरी आशाओं की 
उम्मीदों के ललछौं मनके 
गूँथ नवल सपनों की माला 
भोर नवेली ने पग रक्खे 

राग-बसंती 
धुन सतरंगी 
रचें समय की वीणाओं से
नए गीत हम नए साल में ...!!

भेद अशिक्षा का तम गहरा 
चलो ज्ञान का दीप जलाएँ 
सबकी थाली में रोटी हो 
ऐसी कोई जुगत लगाएँ

सुबह सुनहरी
जीवन पथ की 
गढ़े समय की भाषाओं से 
नई जीत हम नए साल में ...!!

नवसंचित कलियों के जैसे 
महके चहके ऐसे पल छिन
बाँह पसारे खड़े राह में 
ख़ुशी सहेजे उत्सव से दिन 

द्वेष भुला के 
प्रेम भाव से 
चुनें समय की पीड़ाओं से 
मीत-प्रीत हम नए साल में ....!!

-आभा खरे

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