नव किरणों को कौन बिखेरे
लिए रेशमी डोर
वर्ष नव, बिखराये नव भोर।
संदेशे ले आखर-आखर
दीप जले हैं देहरी बाखर
फूल, कली, भँवरे, गुलदस्ते
मीत, सखा सब मिलकर हँसते
मलय समीर बहे मनभावन
महकाये चहुँ ओर
वर्ष नव, बिखराये नव भोर।
अंबर ने फैलाई चादर
कुहरे ने ढलकाई गागर
झाँके फागुन मन भरमाये
रँग अबीर खुशबू फैलाये
नव पल्लव अभिनंदन करते
नाच रहे मन मोर
वर्ष नव, बिखराय नव भोर।
सभी ज्ञान का दीप जलाएँ
मानवता के भाव जगाएँ
धानी चूनर हो वसुधा की
सब मिलजुल कर धरा सजाएँ
वर्ष, हर्ष मय हो सब जन को
स्वर्णिम सबकी भोर
वर्ष नव, बिखराय नव भोर।
-सोनम यादव
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