Wednesday, November 25, 2020

सुधा राठौर

 पाठक बिन सार्थक नहीं,लेखन-कर्म विधान।
टिप्पणियाँ पथ-दर्शिका, मिले सृजन संज्ञान।।
मिले सृजन  संज्ञान , परिष्कृत  लेखन  होता।
प्रतिक्रियात्मक नीर, सभी  त्रुटियों को धोता।।
अनुशंसा का लोभ,प्रगति-पथ में अति बाधक।
प्रोत्साहन के साथ,कलम का सम्बल पाठक।।  

-सुधा राठौर

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